Sunday, June 10, 2012

मुलायम से नजदीकी बढ़ाती कांग्रेस




राष्टÑपति चुनाव और आगामी लोकसभा चुनाव दोनों को सामने रखकर राजनीतिक गठबंधन तैयार करने की मुहिम में कांग्रेस भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन पर अपनी गिरती साख बचाने के लिए भी समाजवादी पार्टी की आड़ लेने की कोशिश कर रही है। इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस की बार-बार की धमकियों से यूपीए सरकार पर उत्पन्न संकटों और कई नीतिगत मसलों में ममता बनर्जी के तीखे विरोधों को देखते हुए वह तृणमूल से मुक्ति के उपाय भी ढूंढने में जुटी है। खासकर खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का मसला ऐसा ही एक मुद्दा है जिसको लेकर कांग्रेसनीत यूपीए सरकार उसी हद तक जा सकती है जिस हद तक उसने अमेरिका से नाभिकीय सौदे के मामले में यूपीए-1 सरकार के दौरान खतरा मोल लिया था। पिछले साल राजनीतिक दलों के भारी विरोध और तृणमूल तथा डीएमके जैसे सहयोगी दलों के रुख को देखकर भले ही खुदरा में विदेशी निवेश का मसला टाल दिया गया हो लेकिन आर्थिक सुधारों के बहाने सरकार उसे अमल में लाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रहने देना चाहेगी।
उधर, तृणमूल कांग्रेस की रणनीति देखें तो पश्चिम बंगाल विधानसभा में कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने के बाद जब उसे अकेले पूर्ण बहुमत मिल गया था तभी से वह ‘एकला चलो...’ की नीति अपना रही है। उस समय कांग्रेस को सरकार में महज इसलिए शामिल किया था चूंकि केंद्र सरकार के गठबंधन में तृणमूल शामिल है। असल में तृणमूल कांग्रेस का लक्ष्य अगले विधानसभा चुनाव में अकेले दम पर लड़ने का है। भले ही सरकार को अतिरिक्त मजबूती प्रदान करने के लिए उसने कांग्रेस को सरकार में शामिल कर लिया हो लेकिन कभी उसे खास महत्व और तवज्जो नहीं दिया है। निगम चुनाव अकेले लड़ना भी इसी रणनीति का हिस्सा है। बार बार अकेले सरकार चलाने की धमकी देना और यह कहना कि उन्हें कांग्रेस की जरूरत नहीं है, आखिर क्या दर्शाता है? खुदरा में विदेशी निवेश जैसे विकल्प के लिए कांग्रेस और यूपीए सरकार किसी भी हद तक जा सकती है। और यही वजह है कि कांग्रेस अब तृणमूल कांग्रेस से किनारा करके समाजवादी पार्टी को लुभाने की चाल चल रही है। उत्तर प्रदेश के कन्नौज संसदीय सीट पर सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के बेटे और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव के खिलाफ प्रत्याशी नहीं उतारने का कांग्रेस का फैसला भी इसी रणनीति का हिस्सा है। राष्टÑपति चुनाव तक कांग्रेस की समूची रणनीति स्पष्ट हो जाएगी। संभव है आगामी लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की ओर से समाजवादी पार्टी को गठबंधन में शामिल करने की पुरजोर पहल हो जाय।

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